सोमवार, 16 सितंबर 2019

एक राजा के पास कई हाथी थे। उनमें से एक हाथी बहुत शक्तिशाली था, बहुत आज्ञाकारी, समझदार व युद्ध-कौशल में निपुण था। बहुत से युद्धों में वह भेजा गया था और वह राजा को विजय दिलाकर वापस लौटा था। इसलिए वह महाराज का सबसे प्रिय हाथी था।

समय गुजरता गया और एक समय ऐसा भी आया, जब वह वृद्ध दिखने लगा। अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर पाता था। इसलिए अब राजा उसे युद्ध क्षेत्र में भी नहीं भेजते थे।

एक दिन वह सरोवर में जल पीने के लिए गया और वहीं कीचड़ में उसका पैर धँस गया और फिर धँसता ही चला गया।  उस हाथी ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह उस कीचड़ से स्वयं को नहीं निकाल पाया। उसकी चिंघाड़ने की आवाज से लोगों को यह पता चल गया कि वह हाथी संकट में है। हाथी के फँसने का समाचार राजा तक भी पहुँचा। राजा समेत सभी लोग हाथी के आसपास इक्कठा हो गए और विभिन्न प्रकार के शारीरिक प्रयत्न उसे निकालने के लिए करने लगे। लेकिन बहुत देर तक प्रयास करने के उपरांत कोई मार्ग नही निकला।

तभी गौतम बुद्ध मार्गभ्रमण कर रहे थे. राजा और सारा मंत्रिमंडल तथागत गौतम बुद्ध के पास गये और अनुरोध किया कि आप हमे इस बिकट परिस्थिति मे मार्गदर्शन करें।  गौतम बुद्ध ने सबके साथ घटनास्थल का निरीक्षण किया और फिर राजा को सुझाव दिया कि सरोवर के चारों और युद्ध के नगाड़े बजाए जायें। सुनने वालों को विचित्र लगा कि भला नगाड़े बजाने से वह फँसा हुआ हाथी बाहर कैसे निकलेगा ? जैसे ही युद्ध के नगाड़े बजने प्रारंभ हुए, वैसे ही उस मृतप्राय हाथी के हाव-भाव में परिवर्तन आने लगा।

पहले तो वह धीरे-धीरे करके खड़ा हुआ और फिर सबको हतप्रभ करते हुए स्वयं ही कीचड़ से बाहर निकल आया। गौतम बुद्ध ने सबको स्पष्ट किया कि हाथी की शारीरिक क्षमता में कमी नहीं थी, आवश्यकता मात्र उसके अंदर उत्साह के संचार करने की थी।

जीवन में उत्साह बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि मनुष्य सकारात्मक चिंतन बनाए रखे और निराशा को हावी न होने दे। कभी – कभी निरंतर मिलने वाली असफलताओं से व्यक्ति यह मान लेता है कि अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर सकता. लेकिन यह पूर्ण सत्य नहीं है।   सकारात्मक सोच ही आदमी को "आदमी" बनाती है, उसे अपनी मंजिल  तक ले जाती है।
आप हमेशा सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण, स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें।

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